भले ही प्रदेश में सरकार शिक्षा व्यवस्था को चुस्त और दुरूस्त बना कर सरकारी स्कूलो की स्थिति को बेहतर करने के दावे कर रही हो मगर धरातल में सरकार के दावे कुछ और ही हकिकत बया कर रही है। क्यो की नैनीताल के घुग्घुखाम के प्राथमिक विद्यालय में छात्र संख्या शुन्य हो गई है।और बिना छात्रो वाले स्कूल में अब दो शिक्षिकाए है तो स्कूल में छात्रो केेे प्रवेश का इंतजार कर रही है। कुछ दिन पुर्व तक स्कूल में एक छात्र था जो अब पास होकर दुसरे स्कूल जा रहा है।छात्र के दुसरे स्कूल जाने से अब स्कूल में छात्र संख्या शुन्य हो गई है और स्कूल अब बंदी की कगार पर है।बता दें कि नैनीताल जिले राजकीय प्राथमिक विद्यालय घुग्घूखाम में बीते सालों में विद्यार्थियों की संख्या कम हुई है। यह संख्या
सत्र 2019 – 20 में -15
2020-21 में 14
22- 23 में 4
वहीं 2024 में यह संख्या घटकर केवल 1 रह गयी। 31 मार्च 2024 को पाचवी में पड़ने वाला निर्मल आर्या भी दुसरे स्कूल में चला गया जिसके बाद यह संख्या शून्य है
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अभिभावक खुद अपने बच्चों का नाम कटवाकर शहर में स्थित प्राइवेट स्कूलों में भेज रहे हैं। जो लोग बाहर या नैनीताल नौकरी करते है वे वही जाकर कमरा लेकर या मकान बनाकर वहीं बच्चों को पढ़ा रहे है। हम लगातार क्षेत्र में रहने वाले परिवारों से भी बच्चों को विद्यालय में पढ़ाने को लेकर भी समझा रहे है पर फिर भी लगातार संख्या घट रही है। अगर 31 मार्च के बाद कोई भी एडमिशन नहीं होता तो यह संख्या शून्य हो जाएगी।
राजकीय प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक शबाना सिद्दीकी
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12 वर्षों से यहां पड़ा रही है और लगातार हर वर्ष संख्या घट रही है इसका मुख्य कारण अभिभावकों का अपने बच्चों को नैनीताल के प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का है, यशोदा रावत,शिक्षिका प्राथमिक विद्यालय
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लोग यहां से अपनी जमीन बेचकर बाहर जा रहे है,जिससे वे अपने बच्चों को भी बाहर ले जा रहे है। यहां रोजगार नहीं है लोग यहां से पलायन कर रहे है ग्रामीण केवल चुनाव और पूजा पाठ के दौरान गाॅव आते है। प्रेमा कार्की, स्थानीय ग्रामीण