
नैनीताल।कोरोना संक्रमण के चार साल के बाद एक बार फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने जा रही है। देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र कैलाश मानसरोवर यात्र 30 जून से शुरू होंगी।दिल्ली में शाररिक जांच में सफल होने वाले यात्रियों को ही कैलाश यात्रा दल में शामिल किया जाएगा।यात्रा हर वर्ष की तरह इस बार भी धार्मिक श्रद्धा और आध्यात्मिक भावनाओं से ओतप्रोत होगी। केंद्र और राज्य सरकार ने इस यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। यात्रा आयोजक संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक विनीत तोमर ने बताया यात्रा 30 जून को दिल्ली से प्रारंभ होगी। पहला दल टनकपुर से धारचूला, गुंजी होते हुए कैलाश मानसरोवर जाएगा। जबकि वापसी में कुमाऊं के प्रमुख मंदिरों कैची धाम के दर्शन करने के बाद यात्रियों को वापस दिल्ली जाएगी। अब तक यात्रा के लिए पांच दल बनाए गए हैं प्रत्येक दल में 50 तीर्थ यात्री शामिल होंगे। यात्रा में किसी प्रकार की दिक्कत ना हो इसके लिए सड़क व्यवस्था को बेहतर किया गया है विगत वर्षों की अपेक्षा विषम क्षेत्र की सड़कों को दुरुस्त कर लिया गया है।——
कुमाऊं की संस्कृति को देखने का मिलेगा मौका
30 जून से शुरू हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान देश-विदेश के भक्तों का उत्तराखंडी पारंपरिक तरीके से तिलक लगाकर स्वागत किया जाएगा। यात्रा के दौरान भक्तों को उत्तराखंड की लोग पारंपरिक संस्कृति और विरासत को देखने का मौका मिलेगा जिन स्थानों पर यात्रियों के रुकने की व्यवस्था की गई है वहां पर यात्रियों को उत्तराखंड की खाद्यय खिलाए जाएंगे साथ ही उत्तराखंड की लोक पारंपरिक संस्कृति से भी रूबरू करवाया जाएगा।
हिंदुओं की सबसे पवित्र यात्रा है मानसरोवर यात्रा
कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध, जैन और बोन धर्म के अनुयायियों के लिए भी अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थल है और मानसरोवर झील में स्नान करने से पापों का नाश होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि अत्यधिक कठिन होने के कारण इसे आत्मिक और शारीरिक साधना का प्रतीक भी माना जाता है।
भारत में दो मार्गो से होती है यात्रा
कैलाश मानसरोवर यात्रा दो मार्गों उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे और सिक्किम के नाथूला दर्रे के रास्ते यात्रा होती है। लिपुलेख मार्ग पारंपरिक और अधिक कठिन है जहां यात्रियों को ट्रेकिंग करनी पड़ती है। मार्ग पारंपरिक होने के चलते अधिकांश भक्त इसी मार्ग का प्रयोग कैलाश मानसरोवर आने-जाने के लिए करते हैं। वहीं नाथूला मार्ग अपेक्षाकृत सुविधाजनक है, क्योंकि इसमें वाहन से अधिक दूरी तय की जाती है।
यात्रियों की सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा को लेकर तैयारी
यात्रा के दौरान सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस यात्रियों की सहायता में पूरी तरह तैनात रहती है। यात्रा मार्गों पर चिकित्सा दल और हेलीकॉप्टर सेवा भी तैयार रखी जाएगी। साथ ही, सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए यात्रियों से प्लास्टिक का प्रयोग न करने की अपील की है।






















